चंदन शर्मा
आखिरकार काले धन के मामले में सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है. चुनाव के इस मौसम में विदेशी बैंकों में जमा भारतीयों के काले धन के बारे में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने ५० भारतीयों को नोटिस जारी किया है. इसमें देश के कई बड़े पूंजीपतियों, उद्योगपतियों और व्यापारिक घरानों के नाम शामिल बताये जा रहें है. हांलाकि सरकार की और से इन लोगों के नाम गुप्त रखे गए है.
माना जा रहा है की इन बैंकों में जमा काला धन बड़ी मात्रा में विदेशी संस्थागत निवेशकों के जरिये शेयर बाज़ार में लगाया जा रहा है. सरकार की संभावित कार्रवाई के मद्देनज़र इन लोगों ने यह काम शुरू किया है. वैसे चुनाव के मौसम में सेंसेक्स के इतनी तेजी से बढ़ने का यह एक बड़ा कारण माना जा रहा है. पहले भी इसी ‘युवा’ में एक रिपोर्ट “काला धन, युवा, मंडी और सेंसेक्स के रिश्ते” में इस बारे में चर्चा की जा चुकी है. दुनिया भर की आर्थिक रिपोर्टों की मानें तो भारतीयों का विदेशी बैंकों में करीब ३००००० करोड़ रुपये जमा है. यह धन कुछेक लोगों ने कर चोरी के लिए विदेशी बैंकों ने छुपा रखा है.
पर देश के आर्थिक विश्लेषकों का मानना है की इस पैसे को शेयर बाज़ार में लगा कर पैसा तो बनाया जा रहा है लेकिन देश के मूलभूत आर्थिक संरचना के विकास में इसका कोई योगदान नही हो रहा है. जबकि इतनी बड़ी राशिः से देश की मंडी और बेरोजगारी का आसानी से सफाया हो सकता है. मालूम हो की पिछले दिनों jee-८ के शिखर सम्मलेन में काले धन का मुद्दा जोर-शोर से उठा था और मंदी की मार झेल रहे ‘विकसित’ देशों ने इस काले धन को छुपाने में सहयोग करने वाले देशों के ख़िलाफ़ शिकंजा कसने की जोरदार वकालत की थी.
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