मंगलवार, 23 जून 2009

हिन्दी से गायब हो सकता है 'ष'

हिन्दी के चाहने वालों के लिए एक ख़बर यह है की वर्तनी से अब 'ष' को हटाने की तैयारी हो गयी है. यांनी की हिन्दी वर्णमाला में आने वाले समय में तीन की बजाय दो ही स होंगे – स और श. राष्ट्रीय शक्षनिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद् (एनसी ई आर टी) में यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. दूसरे शब्दों में कहें तो षष्ठ, षड्कों जैसे शब्द आने वाले समय में मूर्धन्य 'ष' की जगह तालव्य 'श' से लिखे जायेंगे.

अब यह कैसा लगेगा यह आप जाने पर एन सी ई आर टी ने हिन्दी की वर्तनी में कई बदलाव पहले से ही कर दिया है. और, व्यापक बदलाव पर केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय में काम चल रहा है. भाषाविदों की मानें तो लिपि और वर्तनी के मानक १९४२ में बनाए गए थे तब से अब तक मानकों में कोई बदलाव नही किया गया है और इसकी बेहद जरूरत है. भाषाविद महेंद्र कुमार के अनुसार मीडिया खासकर टेलीविजन के प्रसार से भाषा में कई बदलाव आ चुके हैं और इनको भाषा में समाहित करने की जरूरत है. उच्चारण के स्तर पर भी कई बदलाव हो चुके हैं. केंद्रीय हिन्दी निदेशालय भी इस पर काम कर रहा है.

अगर सब कुछ ठीक रहा तो कई और वर्ण की छुट्टी वर्णमाला से हो सकती है जिनका व्यापक उपयोग नही हो रहा है और जिनके बिना हिन्दी का काम यथावत चल सकता है. विद्वानों की राय में हिन्दी को इससे जहाँ सरल बनाने में मदद मिलेगी वहीं इससे हिन्दी और व्यापक भी होगी. यह अलग बात है की भाषा के स्तर पर आम हिन्दीभाषी इसे कितना स्वीकार कर पायेगा पर स्कूलों में पाठ्यक्रम में बदलाव से आने वाली पीढी के लिए हिन्दी का स्वरुप जरूर बदल जाएगा.

21 टिप्‍पणियां:

  1. भाषा की ऐसी तैसी करने में यही लोग काफी है। खुद ही सोचो अगर सोनिया गान्‍धी में गान्‍धी में न्‍ हटा दिया जाये तो कैसा लगेगा। और तो और मनमोहन सिंह में से मोहन में न हटा दिया जाये तो कैसा लगेगा।

    सत्‍या नाश हो इन विद्वान नाशपीटो का

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  2. इसे मैं हद दर्जे की मूर्खता मानूंगा। कहना न होगा कि इससे हिंदी में और गड़बड़ी फैलने की संभावना है। हिंदी के हित-चिंतकों को हर कोशिश करनी चाहिए कि यह प्रयास विफल हो, और इसे विफल करने में कोई कदम उठा नहीं रखना चाहिए।

    वैसे इसका विरोध न भी किया गया, तो भी यह अपने आप ही विफल हो जाएगा। ऐसे लिपि सुधार के प्रयास पहले भी किए जा चुके हैं, और उन की रामविलास शर्मा आदि भाषाविदों ने खूब खिल्ली उड़ाई है। भाषा अपनी राह चलती है, किसी के फतवे से उसमें कोई परिवर्तन नहीं होने का।

    हिंदी भाषा कुछ हजार सालों से अस्तित्व में है। टीवी, इंटरनेट तो उसके समाने एक सेकंड के समान भी नहीं हैं। उनका हिंदी भाषा पर कोई प्रभाव भी पड़ सकता है, यह अकल्पनीय है।

    इसके बजाए यदि एनसीआरटी किशोरीदास वाजपेयी आदि वैयाकरणों द्वारा निश्चित सही हिंदी लिखने की ओर ध्यान दें, तो इससे हिंदी का ज्यादा भला होगा।

    इसी तरह के शेखचिल्ली वाले प्रयास बर्नाड शा ने भी अंग्रेजी के संबंध में किए थे, यहां तक कि अपनी सारी गाढ़ी कमाई भी एक ट्रस्ट बनाकर इस काम के लिए दे दिया था।

    बर्नाड शा के सुझावों में इस तरह के सुझाव थे, जो एनसीईआरटी के उपर्युक्त सुझावों के समान ही हैं -

    अंग्रेजी में से c और s अक्षरों को निकाल दिया जाए क्योंकि इनके द्वारा व्यक्त ध्वनियों को k और z अक्षर व्यक्त कर सकते हैं।

    इसी तरह ph वाले शब्दों को f द्वारा लिखा जाए, यथा, physics की जगह fysikz

    Capital अक्षरों (ABCD आदि) को छोड़ा जाए, क्योंकि इनकी आवश्यकता नहीं है।

    वाक्य के प्रथम अक्षर को तथा प्रोपर नाउनों (व्यक्तिवाचक संज्ञाओं) के प्रथम अक्षर को कैपिटल अक्षर में लिखना बंद किया जाए.

    इत्यादि।

    पर ये सब सुझाव अजायबघर की शोभा बढ़ा रहे हैं।

    हिंदी के सामने और भी अधिक गंभीर समस्याएं हैं, एनसीईआरटी को उनकी ओर ध्यान देना चाहिए, जैसे हिंदी प्रदेश में शत-प्रतिशत स्कूल भर्ती और साक्षरता लाना, सभी गांवों, मुहल्लों में पुस्तकालय नेटवर्क स्थापित करना, सभी स्कूलों में पुस्तकालयों की व्यवस्था करना आदि।

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  3. मेरे विचार से यह अचअछा कदम है। मैं स्वयं बहुत से हिन्दी के शब्द ठीक से नहीं लिख पाता हूं। काफी समय शब्दकोश या फिर शब्दकोष देखने में लगाता हूं फिर भी गलती हो जाती है।

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  4. Hindi se to hindiwaale hee gaayab hone lage hain. Yahee haal raha to ham apne bachchon ko musium men hindi dikhaayengen.

    Gajodhar

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  5. संस्कृत की उन ध्वनियों का क्या होगा जिन्हें हमारे पुरखे सँजोते रहे?

    एन सी ई आर टी में लगता है अन्धबाबुओं का जोर बढ़ गया है। वैसे इस कदम को जनता स्वीकार नहीं करेगी। भाषा की तर्ज पर यदि लिपि को भी प्रवाहशील मानें तो भी यह कदम एक बौछार भर है जो बहुत जल्दी खत्म हो जाएगी। आखिर एक ध्वनि की मृत्यु का प्रश्न है।

    आसानी के नाम पर काहिली को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। NCERT के ये बाबू अंग्रेजी की एक एक स्पेलिंग को सीखने के लिए कितनी मेहनत करते हैं ! ढंग की हिन्दी लिखनी पढ़नी सीखने में इनकी नानी मरती है और आभिजात्य को हिन्दी बोलता इंसान देखते ठेस लगती है। काले अंग्रेज सा..

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  6. प्रमेन्द्र और सुब्रमणियम जी का कहना दोहरा दिया जाये
    ** सत्‍या नाश हो इन विद्वान नाशपीटो का
    ** हद दर्जे की मूर्खता

    मेरा भी यही कहना रहता है कि अंग्रेजी के शब्दों की स्पेलिंग और अर्थ के लिये जब डिक्शनरी पलट सकते हैं तो हिन्दी के सही अर्थ और वर्तनी के लिए शब्दकोष देखने में क्या समस्या आ खड़ी होती है?

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  7. हम बोलचाल से ध्वनियों को तो हटा नहीं सकते। अक्षरों को हटाने से क्या होगा? अभी तो हम यहाँ कोटा में हाड़ोती बोली की ध्वनियां देवनागरी में कैसे लिखी जाएं? इस पर सेमीनार करने जा रहे हैं।

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  8. सत्‍या नाश हो इन विद्वान नाशपीटो का

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  9. हिंदी भाषा से अगर 'ष' निकाल देंगे तो 'भाषा' कैसे लिखेंगे 'भाशा' या 'भासा'

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  10. आपकी इस पोस्ट ने तो मुझे गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया है! बिना ष शब्द के हम भले कैसे लिख सकेंगे! ऐसे बहुत से शब्द है जिसमें ष शब्द का प्रयोग होता है जैसे - भाषा, मनुष्य, धनुष, परिभाषा, शब्दकोष इत्यादी और भी कई शब्द है जिसमें हम कोई और श का प्रयोग नहीं कर सकते!

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  11. मेरा तो नाम ही बिगड़ जाएगा | हालाँकि शर्म के साथ कहूं तो मुझे दोनों के उच्चारण में अंतर नहीं पता | क्या कोई बता सकता है?

    -
    आशीष

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  12. सच मुच मुझे भी नहीं पता कि उच्चारण में श व ष में अन्तर क्या है।
    धनराज वाधवानी, इन्दौर म. प्र.

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    उत्तर
    1. इसका श के साथ भेद मुख्य रूप से सैद्धान्तिक है। सुनने में ज़्यादा अलग नहीं लगता, लेकिन उच्चरण-स्थान अलग हैं। श (और च छ ज झ ञ) तालु से (palate – roof of the mouth)। ष (और ट ठ ड ढ ण) मूर्धा से (alveolar ridge – the raised part just behind the teeth). इसीलिये चवर्ग के साथ हमेशा श आता है और टवर्ग के साथ हमेशा ष। जैसे -
      निश्चय, पश्चात, आश्चर्य
      निष्ठुर, कष्ट

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  13. हिंदी से 'ष' हटा सकते है, सायास लेकिन देवनगरी से 'ष' हटाने में देर लगेगी। वैदिक व्याकरण की माध्यंदिनी शाखा में 'ष' का उच्चारण 'ख' किया जाता है। देवनागरी में देश की 8 भाषाएँ लिखी जाती है। जिनसे हटाना ....देर लगेगी।

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  14. हिन्दी के साथ इस तरह के खिलवाड़ नही होने चाहिये ।

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  15. साफ है कि मैं यह काफी साल बाद पढ़ रहा हूँ लेकिन बहुत खुश हूँ इस चर्चा को देखकर ।

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  16. साफ है कि मैं यह काफी साल बाद पढ़ रहा हूँ लेकिन बहुत खुश हूँ इस चर्चा को देखकर ।

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  17. सार्थक जानकारी ! साँझा कर रही हूँ

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