बुधवार, 1 जुलाई 2009

थोड़ा लिबरहान -सिबरहान भी

अरे ई का! ई लिबरहान तो गजबे कर दिया. हम तो सोच-सोच के एकदम तेंसनिय गए थे की अबकी ई पार्लियामेन्ट में क्या करेंगे. ई कल से शुरू होगा संसद तो कुछ मुद्दा चाहिए न. आ ई अखबारवाला सब केत्ता बड़ा-बड़ा छापा है जैसे की एकदम, उ का कहते हैं, एक्सक्लूसिव हो, नेताजी आज एकदम उछल रहे थे आज सुबह-सुबह अखबार पढ़ के.


एकदम से हांक लगाई, अरे, पी ऐ साब को बुलाओ. अब बेचारे पी ऐ को क्या मालूम. घुसते ही डाट पड़ी. अरे बबुआ जी ई इत्ता बड़ा ख़बर आया आ हमको बताये भी नही. बबुआ जी ने जान बचाने की कोशिश की – ई ख़बर तो टीवी में कल्हे से चल रहा है. ई तो सब पुराना बात है. नेताजी बिदके – ई तुम्ही को मालूम है की क्या पुराना बात है और क्या नया? जानते तो पी ऐ ही बने रहते! आ टीवी के ख़बर पर तो परतिकिरिया दिया जाता है न. एक्शन थोड़े लिया जाता है. जाइए सब को बुलाएये. आ सबको फ़ोन लगाकर हमको भी बात कराइए. और हाँ ई वातानुकूलन यंत्र, क्या कहते हैं, अ सी भी बंद कर के जाइए. दो दिन से सोचते सोचते पाँच किलो पसीना निकल गया है. कोई काम का नही है ऐ सी.

अखबार dekhne से पहले नेताजी को लग रहा था की इस बार पार्लियामेन्ट के गेट पर खड़ा होके ई मानसून का बारिश देखने और ई बंगाली बाबु के बजट पर ताली बजाने के अलावा और कोनो काम ही नही रहेगा. अब कम से कम उ ‘लोहा पुरूष’ को गरिया के पिघ्लायेंगे तो. अब नेताजी तो चिंता में निमग्न थे तो फ़ोन बज उठा. लगता है बबुआजी ने फ़ोन लगा दिया. नेताजी सही थे. उधर दूसरी तरफ़ पार्टी का ही आदमी था. नेताजी ने तुंरत फरमान जारी किया ‘सुनिए, अब जब तक बजट नही आ जाता है ई लिबरहान की भट्टी में फूँक मारना है. ई भट्टी पुराना हो गया है. थोड़ा जोड़ लगायेंगे तो नया हो जाएगा. अबकी सब लोहा पिघला के ही दम लेना है. बजट में ताली-गाली तो सभे करेगा. इसमें लीड लेना है, समझे.

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरत विचार हैं, जिन्हें आपने बहुत ही कलात्मकता से शब्दों का जामा पहना दिया है, बधाई।

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  2. बेहद पसंद आया मुझे आपका ये पोस्ट ! बढ़िया विचार हैं आपके और उसे उतने ही सुंदर ढंग से आपने लिखा है जिसे पड़कर मैं निशब्द हो गई! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!

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  3. अब इ बताइए कि आपका तारीफ में हम का कहें, आपका जो इश्टाइल है ना बात कहने का उ एकदम सुपट है अब तो हमहूँ तनिक सा नरभसिया गए हैं, लेकिन अ एक ठो बात जरूरे कहेंगे कि लेख पढ़ कर मन जो हैं ना बहुते खुस हो गया, आप लिखते रहिएगा और हम तो, आप जानबे करते हैं, आइबे करेंगे,

    स्वप्न मंजूषा 'अदा'

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  4. aapki baat aapki style ke karan aur bhi achhi ho gayi ho

    bahut hi achhi post hai padh kar muskaarte rahe

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