गुरुवार, 3 सितंबर 2009

तो आपका नंबर क्या है ?

भाई साहब आपका नंबर क्या है? कुछ ऐसा ही दिल्लीवासियों के साथ आने वाले दिनों में होने वाला है कि उनकी पहचान किसी नाम से नहीं बल्कि उसके नंबर से होगी! अब यह अच्छी खबर है या बुरी यह आप जानें पर तैयारी जारी है.

जाने-माने आईटी दिग्गज नंदन नीलेकनी साहब ने बुधवार को दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित के समक्ष एक प्रेजेंटेशन दिया जिसमें उन्होंने बताया कि दिल्ली में आने वाले तीन वर्षों में राजधानीवासियों को विशेष पहचानपत्र उपलब्ध करा दिया जाएगा. उसमें लोगों की पूरी जन्म पत्री उपलब्ध होगी. ठीक अमेरिका की तरह ही. यानी की आप की जन्म तिथि से लेकर आपके माता-पिता, शिक्षा, आय, आवास, फिंगर प्रिंट आदि-आदि.

नीलेकनी साहब आईटी दिग्गज भर नहीं है बल्कि पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन में उनकी कोई सानी नहीं है. वे इन्फोसिस के शीर्ष पर रहे है और उनकी पुस्तक 'इमेजिंग इंडिया' भी अद्भुत है. इस कारण से सरकार की ओर से उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर यूनिक आईडी अथॉरिटी का चेयरमैन भी बनाया गया है. पर जिस देश में सारी लोगों को अभी तक फोटो वाले मतदाता पहचान पत्र तक नहीं दिए जा सके हों और सभी नागरिकों का राशन कार्ड तक नहीं बन पाया हो वहां ऐसे प्रोजेक्ट को लेकर आशंका होना स्वाभाविक है कि इसका भी कहीं वही हश्र तो नहीं होने वाला है.

सिर्फ राजनीति ही नहीं नौकरशाही भी ऐसे प्रोजेक्ट पर कृपावान रही है. अगर भरोसा नहीं है तो उन लोगों से पूछिए जिन्होंने अपनी ओर से वोटर आईडी या राशन कार्ड बनवाने के प्रयास किये या पासपोर्ट जैसे महतवपूर्ण दस्तावेज में किसी दर्ज गलती को सुधारने की कोशिश की. उनकी आपबीती से पता चल जाएगा कि इन्हें हासिल करना कितना जद्दोजहद वाला काम है.

खैर, नीलेकनी साहब का प्रोजेक्ट कितना कारगर होगा यह तो आने वाले तीन -चार साल के बाद पता चलेगा पर माता पिता यह सोच कर खुश हो सकते हैं कि उनके बच्चों की पहचान उनके नाम से नहीं बल्कि नंबर से होगी - मसलन बी-२००४, स-७७१ आदि-आदि. इस कारण से उन्हें बच्चों के नामकरण के झंझट से मुक्ति मिल सकती है. पर शिक्षक अपने छात्र को या बॉस अपने कर्मचारियों को कैसे बुलाएगा? सोच कर बताइयेगा!

1 टिप्पणी:

  1. हम कनाडा में बहुत समय से नम्बर बने हुए हैं मगर यह सुखद परिणाम लायेगा..आशांवित रहें.

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