वैसे तो इस बार चुनाव में काफ़ी कुछ हो रहा है पर कुछेक लोक सभा उम्मीदवारों ने देश के युवाओं का ध्यान खास तौर से आकर्षित किया है। मजे की बात तो यह है कि इन लोगों की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है पर युवाओं के बीच इनकी खासी चर्चा है। इनमें अपनी शिष्या जूली से विवाह रचाने वाले पटना विश्वविद्यालय के शिक्षक मटुकनाथ और हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री चन्द्रमोहन उर्फ़ चाँद की तलाकशुदा पत्नी व पूर्व सहायक सोलिसिटर जनरल अनुराधा बाली उर्फ़ फ़िजा और दिल्ली से लोकसभा उम्मीदवार दीपक भारद्वाज शामिल हैं।
हालाँकि तीनों उम्मीदवार अलग-अलग कारणों से चर्चा में हैं। मटुकनाथ ने इस चुनाव में 'प्रेम पार्टी' ही बना ली है और पटना के सभी प्रेमियों के लिए एक प्रेम पार्क बनाने का वादा किया है। उन्होंने अपने लिए 'दिल' चुनाव चिन्ह की मांग की है। यह अलग बात है कि तकनीकी कारणों से उनकी उम्मीदवारी का पर्चा चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया। दूसरी ओर फिजा ने अपने पूर्व पति के समर्थित उम्मीदवार को हराने के लिए हरियाणा में अभियान छेड़ रखा है। दीपक भारद्वाज देश के सबसे रईस उम्मीदवार हैं और बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी संपत्ति इस मंदी के दौर में भी ६०० करोड़ रूपए से भी ज्यादा है।
पर सवाल यह है की इन उम्मीदवारों को युवाओं का समर्थन क्यों मिलें? इनका समाज में क्या योगदान है? क्या ये उम्मीदवार मीडिया में मिले प्रचार को राजनीतिक रूप से भुनाना चाहते हैं या धनबल को जनशक्ति पर थोपना चाहते है? यह सारे सवाल विचारणीय हैं। क्योंकि ऐसे लोगों की सफलता में समाज के गंभीर निहितार्थ भी जुड़े हैं।
अच्छा लिखा है आपने और सत्य भी , शानदार लेखन के लिए धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंमयूर दुबे
अपनी अपनी डगर
शानदार लेखन के लिए धन्यवाद...
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