शनिवार के बाद रविवार को भी देश के सबसे प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूल आईआईएम की कैट परीक्षा बाधित रही कई केन्द्रों पर. ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा का यह प्रयास जो भारतीय प्रबंधन संसथान ने किया वह फिर औंधे मुंह गिरा. साथ ही कई उम्मीदवारों की तैयारियों पर भी वज्रपात हो गया. कहने को तो इन उम्मीदवारों की परीक्षा फिर से होगी पर जिनका प्रतियोगी परीक्षाओं का अनुभव रहा है वह जानते हैं कि इन परीक्षाओं के लिए बार-बार एक जैसी तैयारी नहीं हो सकती है.
पर इस प्रकरण से कई बड़े सवाल खड़े हो गए हैं. पहला तो यह देश का सबसे प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान अपनी ही प्रवेश परीक्षा का प्रबंधन नहीं कर पाया? यह किसी भी प्रबंधन संस्थान की प्रबंधकीय क्षमता पर बड़ा प्रश्न चिन्ह है. इसका जबाव देना कैट के प्रबंधकों के लिए आसान नहीं होगा. दूसरा यह कि जब पूरी दुनिया में आई आई टी और आई आई एम का डंका बजता है तो इन्हें परीक्षा के लिए अमेरिका से किसी को लाने की क्या जरूरत थी? क्या यह काम खुद आई आई एम नहीं कर सकता था?
तीसरा सवाल जो इन सब सवालों से बड़ा है वह यह कि जिस देश में अभी भी ६५ फीसदी छात्रों तक कंप्यूटर की पहुँच नहीं बन पायी है वहां इस ऑनलाइन परीक्षा का औचित्य क्या है? क्या यह परीक्षा पद्धति देश के अधिसंख्य उम्मीदवारों को, जो सरकारी स्कूलों में पढ़ कर बड़े हुए हैं या फिर सुविधावंचित वर्ग से हैं, दूर करने का एक जरिया है? कम से कम प्रथम दृष्टया तो यही प्रतीत होता है. रही बात आईआईएम को निचले तबके से दूर करने की तो इसका प्रयास सफलता पूर्वक पहले ही किया जा चुका है इसकी फीस में कई गुना वृद्धि करके? इस परीक्षा पद्धति को लाने का सीधा मतलब योग्यता की परख से ज्यादा उम्मीदवारों को उपलब्ध सुविधा की परख करना है. वैसे भी आईआईएम अभिजात्यवाद का घोर समर्थक रहा है और यह उसके इस समर्थन का एक और प्रतीक है. यह अलग बात है कि कैट के कुप्रबंधन ने उसके इस अभिजात्यवाद की पोल खोलने का मौका दे दिया है
Chaliye isee bahaane hee sahi IIM kee pol to khulee
जवाब देंहटाएंChitra Pandey